CORRECTAR LA LETRA

Letra : Ghar Bhara Sa Lage

कुछ ना होने का दुख ज़रा सा लगे..
ज़रा सा लगे...
कुछ ना होने का दुख ज़रा सा लगे..
ज़रा सा लगे..

तेरे होने से..
तेरे होने से..
तेरे होने से घर भरा सा लगे..
घर भरा सा लगे..

तेरी खुशबू है घर की रग रग में
तेरी परछाई में है सौ नग़में
इश्क़ ने दिए है जो खुश होके
तेरे बोसे तो है मेरे तग में

अच्छी आदत मेरी.. सिर्फ़ तुम हो
मानो इज़्ज़त मेरी.. सिर्फ़ तुम हो

बिन तेरे वक़्त भी बुरा सा लगे..
बुरा सा लगे..
कुछ ना होने का दुख ज़रा सा लगे..
ज़रा सा लगे..

ह्म...

तेरे पहलू में रखना है सर को
तेरी नज़रों से देखेंगे घर को
मैने गहनो सा पहना है देखो
तेरी चाहत तेरे आदर को

ऐश-ओ-इशरत मेरी सिर्फ़ तुम हो
सारी दौलत मेरी सिर्फ़ तुम हो

बिन तेरे घर भी मकबरा सा लगे..
मकबरा सा लगे..

कुछ ना होने का दुख ज़रा सा लगे..
ज़रा सा लगे..

तेरे होने से..
तेरे होने से..
तेरे होने से घर भरा सा लगे..