CORRECTAR LA LETRA

Letra : IQRAAR

ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत है तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए
ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत है तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए
ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत है तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए

तू जो सोचे मैं वहीं हूं, महसूस होती कमी हूं
क्या होती जिंदगानी? अगर ना होती मनमानी
बदलेगी कहानी क्योंकि इसका कवि मैं ही हूं
तू चाहे जो वहीं हूं, महसूस होती कमी हूं

तेरी ही तो बस अब बची देखो कमी है
मोहब्बत का ये इक़रार पर आंखों में नमी है
ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए
ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए

दिन और रातों की ना हो कोई खबर
में हू वो जो तू है ना हो कोई फरक

तू जो सोचे मैं वहीं हूं, महसूस होती कमी हूं
क्या होती जिंदगानी? अगर ना होती मनमानी
बदलेगी कहानी क्योंकि इसका कवि मैं ही हूं
चाहे जो वहीं हूं, महसूस होती कमी हूं

ले चल तू कहीं दूर दिल भी जीना चाहे
खूबसूरत तस्सावुर जो ज़िंदगी महकाए